Saturday, May 16, 2009

देखिए शायद यही गणित ठीक बैठ जाए

चुनाव नतीजे आने से पहले सर्वे-एक्जिट पोल का मौसम है। मैंने भी एक सर्वे कर डाला है। बस ऐसे ही कोई न तो सैंपल साइज है न तो मैं किसी राज्य में गया हूं। यहीं दिल्ली में बैठकर अपनी राजनीतिक समझ के आधार पर ये सर्वे किया। सर्वे क्या यूं कहें कि ये पूरी तरह अंदाजा भर है।


इसके लिहाज से कांग्रेस+ यानी UPA के कुल 199 सांसद बनते दिख रहे हैं। जिसमें कांग्रेस के साथ डीएमके, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और नेशनल कांफ्रेंस शामिल हैं।


BJP+ यानी NDA के कुल 180 सांसद बनते दिख रहे हैं। इसमें TRS के 5 सांसद जोड़ दें तो, ये संख्या 185 पहुंच जाती है।

तीसरे मोर्चे की बात करें यानी लेफ्ट पार्टियों के साथ जेडीएस, टीडीपी, जयललिता, बीएसपी, बीजू जनता दल को जोड़ें तो, ये बनते हैं 112।


और, यूपीए और तीसरे मोर्चे से टूटकर बने चौथे मोर्चे यानी लालू-मुलायम-पासवान की तिकड़ी की बात करें तो, इसे कुल 26 सीटें ही मिलती दिख रही हैं।


इन मोर्चों के अलावा दूसरी पार्टियों और अन्य को बीस के आसपास सीटें मिल सकती हैं। कुल मिलाकर सारा दम करीब 31 सीटें जीतने वाली मायावती और 20 के पास सीटें जीतने वाली जयललिता के गठजोड़ पर होगा। यही दोनों महिलाएं मिलकर तय करेंगी कि यूपीए की सरकार बनवाएं- एनडीए की या फिर इन दोनों में से किसी एक का समर्थन लेकर खुद ही दिल्ली की गद्दी संभालें।



उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से सबसे ज्यादा 29 सीटें मायावती हथिया लेंगी। समाजावादी पार्टी के जिम्मे 19 सीटें लग सकती हैं। कांग्रेस-बीजेपी दोनों को फायदा हुआ है। कांग्रेस को 13 और बीजेपी को 16 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को 3 सीटें मिल सकती हैं।



उत्तर प्रदेश से सटे बिहार की चालीस सीटों में नीतीश का डंका बज रहा है। वो, 19 सीटें झटक सकते हैं। सहयोगी बीजेपी को 10 सीटें मिल सकती हैं। लालू की पार्टी को 4 और पासवान की लोकजनशक्ति को 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है जबकि, अकेले लड़ रही कांग्रेस को 5 सीटें मिल सकती हैं।



बात करते हैं स्विंग स्टेट यानी जहां की क्षेत्रीय पार्टियों को मिलने वाली सीटें केंद्र में सत्ता का समीकरण बना-बिगाड़ सकती हैं। पहले बात आंध्र प्रदेश की। यहां की 42 सीटों में से कांग्रेस को 17, टीडीपी को 16, पीआरपी को 2, टीआरएस को 5, सीपीआई-सीपीएम को 1-1 सीट मिल सकती है। यानी कांग्रेस को सत्ता में रहने का ज्यादा घाटा नहीं हुआ है।


एक और स्विंग स्टेट हैं तमिलनाडु। यहां की 39 सीटों में से डीएमके को 13 सीटें ही मिलती दिख रही हैं। एआईएडीएमके का पलड़ा भारी है उसे 20 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 4, पीएमके को 1, एमडीएमके को 1 सीटें मिलने के आसार हैं।


गुजरात की 26 में से 18 बीजेपी को, कांग्रेस को 8


मध्य प्रदेश की 29 में बीजेपी को 20, कांग्रेस को 9

राजस्थान की 25 में से 14 कांग्रेस को, 10 बीजेपी को, 1 बीएसपी को

अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीटें कांग्रेस को

हरियाणा की 10 में से 5 इंडियन नेशनल लोकदल, 3 कांग्रेस और एक-एक सीट बीजेपी और बीएसपी को

महाराष्ट्र की 48 सीटों से कांग्रेस को 12, एनसीपी को 13, बीजेपी को 11, शिवसेना को 12



असम की 7 में से 1 कांग्रेस, 1 एयूडीएफ, 3 एजीपी, 2 बीजेपी


हिमाचल प्रदेश की 4 में से 3 सीट बीजेपी और एक कांग्रेस को


जम्मू कश्मीर की 6 सीटों में से 2 नेशनल कांफ्रेंस, 2 पीडीपी, और कांग्रेस-बीजेपी को 1-1 सीटें


दक्षिण के ही एक और राज्य कर्नाटक में बीजेपी को 28 में से 16 सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस को यहां पर 8 और तीसरे धड़े की अगुवा जेडीएस को 4 सीटें मिल सकती हैं।


बीजेपी से नाता तोड़ने का नवीन पटनायक को नुकसान नहीं है वो, कुल 21 लोकसभा में से 9 सीटों पर कब्जा करते दिख रहे हैं। बीजेपी को 4, कांग्रेस को 7 और लेफ्ट को यहां 1 सीट मिल सकती है।


पश्चिम बंगाल में तीन दशकों में पहली बार लाल किला कमजोर होता दिख रहा है। राज्य की 42 में से सीपीएम 18, सीपीआई को 1, फॉरवर्ड ब्लॉक को 1, आरएसपी को 1 सीटें मिल सकती हैं। जबकि, ममता-कांग्रेस गठजोड़ काफी फायदे में है। ममता की तृणमूल को 13 और कांग्रेस को 7 सीटें मिल सकती हैं। साथ ही दार्जिलिंग की एक सीट पाकर बीजेपी भी राज्य में खाता खोल सकती है।


वामपंथी शासन वाले एक और राज्य केरल में भी कांग्रेस को बढ़त है। कुल बीस में से कांग्रेस को 10 सीटे मिलती दिख रही हैं। जबकि, सीपीएम को 7 और सीपीआई को 2 सीटें मिल सकती हैं। पोन्नानी से निर्दलीय उम्मीदवार के जीतने की उम्मीद है।



गोवा में बीजेपी और कांग्रेस एक-एक सीट बांटते दिख रहे हैं।



पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठजोड़ की स्थिति थोड़ी खराब हुई है। अकाली दल को 3, बीजेपी को 2 और कांग्रेस को 8 सीटें मिलती दिख रही हैं। यहां कुल 13 सीटें हैं।



छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता में रहने का कोई नुकसान नहीं है। 11 में से बीजेपी को 9 और कांग्रेस को 2 सीटें मिल सकती हैं।


झारखंड की 14 सीटों में से पांच बीजेपी को मिलती दिख रही है। झरखंड मुक्ति मोर्चा को सिर्फ 3 सीटें मिलने के आसार हैं जबकि, कांग्रेस को यहां चार और लालू की पार्टी आरजेडी और झारखंड विकास मोर्चा को एक-एक सीट मिल सकती है।


उत्तराखंड की 5 सीटों में से 3 बीजेपी और दो कांग्रेस को मिल सकती हैं। दिल्ली में सात में 5 सीटें कांग्रेस की झोली में जाती दिख रही हैं। उसे एक सीट का नुकसान है यहां। बीजेपी को 2 सीट मिल सकती है।



लक्षद्वीप, सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, दमन-दीव, दादरा-नगर हवेली, अंडमान निकोबार में कांग्रेस को 1-1 सीट मिल सकती है। मणिपुर में 1 सीट मणिपुर पीपुल्स पार्टी को जा सकती है।

5 comments:

  1. अच्छा विश्लेषण किया है. कल रेजेल्ट के बाद फिर आयेंगे देखने.

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  2. व्हाट ऐन आईडिया सर जी. तुक्का लगाने के खेल में जब इतने बड़े-बड़े मीडिया दिग्गज शामिल हो रहे हों तो आपका इससे दूर रहना ठीक नहीं ही कहा जा सकता था. अच्छा किया आपने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया अगर तुक्का सही बैठ गया तो बल्ले-बल्ले और अगर नहीं बैठा तो भीड़ में आप भी शामिल हो जाइएगा...बेस्ट विशेज!

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  3. खूब गणित पढी़ है इन दिनों में आज उत्तरमाला सामने होगी।

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  4. आप की गणित सही हो सकती है .

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  5. अब तो नतीजे आ चुके हैं । आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा कारगर साबित हुई है यूपी ए ।

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