Wednesday, February 24, 2010

ममता जी इस बार नई ट्रेन मत देना


आज आने वाले रेल बजट में ममता बनर्जी कई नई दुरंतो ट्रेनों के अलावा दूसरी कई नई गाड़ियों के शुरू होने का एलान कर सकती हैं। हो सकता है किराया भी जस का तस ही रहे। दरअसल, हर रेल बजट में जनता को दो ही प्रमुख उम्मीदें रहती हैं कि रेल किराया न बढ़े और उनके इलाके से जहां वो नौकरी-कारोबार करने के लिए निकले हैं वहां के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें चलें जिससे किसी भी मौके पर वो आसानी से अपना सफर कर सकें। हर रेल मंत्री रेल बजट पेश करते समय सदन से भी सबसे ज्यादा तालियां नई ट्रेनों के शुरू होने के एलान के समय ही पाता है लेकिन, क्या ट्रेनों के शुरू होने के एलान भर से ही रेल मंत्री को सफल माना जा सकता है। जुझारू तेवरों और कुछ हटकर करने के लिए जानी जाने वाली रेल मंत्री ममता बनर्जी इस धारणा को बदल सकती हैं।

पिछले रेल बजट के समय ममता बनर्जी ने कई शानदार जो एलान किए थे उसमें दुरंतो और युवा जैसी ट्रेनों को शुरू करने का एलान था। लेकिन, पिछले बजट में किया गया एलान इस रेल बजट के आने से कुछ 15 दिन पहले ही मूर्त रूप ले पाया। जब हड़बड़ी में एक साथ 12 ट्रेनों को कानपुर से सोनिया गांधी और ममता बनर्जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। फिर भी पिछले रेल बजट में एलान की गई सभी दुरंतो ट्रेनें शुरू नहीं की जा सकी हैं। इस बजट के ठीक पहले जल्दी में शुरू की गई दुरंतो ट्रेनों में  इलाहाबाद से दिल्ली के लिए शुरू हुई दुरंतो भी शामिल थी। 


10 फरवरी को दिल्ली से इलाहाबाद के लिए पहली बार दुरंतो ने यात्रा शुरू की और उस यात्रा में मैं भी शामिल हुआ। नई चमचमाती दुरंतो में यात्रा करने का उत्साह यात्रियों के चेहरे पर साफ दिख रहा था। साथ ही ये भी ये ट्रेन प्रयागराज से भी बेहतर साबित होगी। लेकिन, नॉन स्टॉप दुरंतो के यात्री सुबह 6 बजे जब इलाहाबाद पहुंचने की उम्मीद में थे तो, उस समय ये ट्रेन कानपुर स्टेशन पर खड़ी थी। और, ये ट्रेन इलाहाबाद अपने पहले ही सफर में अपने निर्धारित समय से करीब 4 घंटे देरी से पहुंची। भारतीय रेल की सफलता पर काले धुएं जैसी दिखने वाली ये सबसे बड़ी विफलता है। ममता बनर्जी इस रेल बजट में इससे निजात का खाका पेश कर सकती हैं। इस साल नई ट्रेनों के एलान के बजाए अगर सभी ट्रेनों के समय से पहुंचने का संकल्प इस रेल बजट में दिखे तो, वो ज्यादा बड़ी उपलब्धि होगी। इसलिए ममता जी इस बार नई ट्रेन का एलान करने के बजाए नई रेल पटरियां कैसे बिछेंगी इसका इंतजाम बताइए तो, बेहतर होगा।

 गई सर्दी के मौसम में एक ही दिन में हुए तीन रेल हादसे और इसके बाद पूरी सर्दी कोहरे डरे सहमे रेलवे का कानपुर से दिल्ली के बीच में 20-30 किलोमीटर की स्पीड पर ट्रेन चलाने ने देरी के पिछले सभी सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। ट्रेनों के रद्द होने, जबरदस्त देरी से यात्रियों की परेशानी के साथ रेलवे को भी करोड़ो का नुकसान हुआ जो, जुड़ता तो, रेल बजट पेश करते समय रेल मंत्री को वाहवाही लूटने का और मौका दे सकता था। रेल मंत्री ममता बनर्जी को कोहरे से निपटने का कोई पुख्ता तरीका निकालना होगा। अत्याधुनिक तकनीक के दौर में तय ट्रैक पर ट्रेनों का समय से न पहुंचना और दुर्घटनाएं होना आवागमन के सबसे सुरक्षित साधन से लोगों को भरोसा तोड़ता है। ममता बनर्जी को ये भरोसा वापस लौटाने का भी इंतजाम करना होगा। एंटी कोलिजन डिवाइस, कोहरे में चमकने वाले सिगनल और केबिनमैन, गार्ड, ड्राइवर, स्टेशन मास्टर के बीच संचार सुविधा के बेहतर इस्तेमाल से ये काम आसान हो सकता है।

 दुरंतो जैसी नॉन स्टॉप गाड़ियां तो देश में शुरू हो गईं लेकिन, अभी भी शायद ही देश में कोई भी ट्रेन हो जो, 150 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर चल पाती हो। देश में सबसे तेज चलने वाली भोपाल शताब्दी भी दिल्ली से भोपाल का 701 किलोमीटर का सफर तय करने में 8 घंटे ले लेती है यानी प्रति घंटे 100 किलोमीटर से भी कम की रफ्तार। इस ट्रेन से भोपाल जाते समय रास्ते में कोरियाई पर्यटक मिल गए थे। इन कोरियाई यात्रियों को हमारी सबसे शानदार ट्रेन की रफ्तार पर हंसी आ रही थी। उनके बिहारी गाइड ने अपने दूसरे गाइड दोस्त को बताया कि ये कह रहे हैं कि ये ट्रेन ऐसे चल रही है जिस रफ्तार से कोरिया की शुरू की ट्रेनें चलती थीं। अब ये मुझे तो बहुत बुरा लगा। पक्के तौर पर रेल मंत्री होने के नाते ममता जी को ये बुरा लगेगा और वो, इस पर खास ध्यान देंगी।

 दिल्ली-मुंबई डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर का क्या हुआ ये पता नहीं। अगर ममता बनर्जी इस रेल बजट में एलान कर किसी एक रूट पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली पटरियां बिछाने का काम कर सकें तो, भारतीय रेल के इतिहास में उनका नाम कुछ उसी तरह दर्ज हो सकता है जैसा, एनडीए सरकार ने स्वर्णिम चतुर्भुज सड़कों के जरिए किया था। शुरुआत ममता बनर्जी देश के सबसे व्यस्त दिल्ली-हावड़ा रूट से कर सकती हैं। इस रूट से उन्हें और कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में और उत्तर प्रदेश-बिहार में राजनीतिक लाभ भी मिल सकता है। इस सबके साथ अगर आप नई ट्रेनें चलाने और किराए न बढ़ाने का एलान कर सकें तो, ये सोने पे सुहागा होगा।

 जनता ने 5 साल के लिए यूपीए को दोबारा सत्ता चलाने के लिए चुना है। ममता जी लोकलुभावन रेल बजट के दिन वाहवाही लूटने वाला बजट किनारे करिए, रेल के इतिहास के सबसे शानदार घुमाव वाला रेल बजट पेश कीजिए। देश की तरक्की को सुपरफास्ट स्पीड में ले जाने के लिए रेलवे का सुपरफास्ट होना बहुत जरूरी है। 

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